Sawan 2024: भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना आज से शुरू हो चुका है. इस बार श्रावण मास 22 जुलाई से लेकर 19 अगस्त तक रहने वाला है. सावन के हर सोमवार भोलेनाथ के भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. भगवान शिव के साकार स्वरूप के साथ शिवलिंग पूजा का भी विशेष महत्व है. उनकी शिवलिंग स्वरूप में पूजा सबसे ज्यादा होती है. देश में भगवान शिव के कुल बारह ज्योतिर्लिंग हैं. आइए जानते हैं कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं और आप घर बैठे इनकी उपासना कैसे कर सकते हैं.
शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं- सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्रयम्बकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घुश्मेश्वर (महाराष्ट्र). अन्य शिवलिंगों की पूजा की तुलना में ज्योतिर्लिंगों की पूजा करना अधिक उत्तम होता है. अगर नित्य प्रातः केवल इन शिवलिंगों के नाम का स्मरण किया जाए तो सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं. अगर आपके लिए इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर पाना संभव नहीं है तो आप घर में इनके चित्र लगाकर भी पूजा कर सकते हैं.
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घर में 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा के नियम घर में ज्योतिर्लिंग के चित्र को पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर लगाएं. एक साथ सभी ज्योतिर्लिंगों के चित्र न लगाएं. अपनी आवश्यकता के अनुसार, अगर आप ज्योतिर्लिंग का चित्र लगाते हैं तो ज्यादा बेहतर होगा. आप ये चित्र सावन महीने में किसी भी दिन लगा सकते हैं. अन्यथा सोमवार, पूर्णिमा या शिवरात्रि का दिन भी इसके लिए उत्तम है. जहां स्थान पर ज्योतिर्लिंग का चित्र लगाएं, वहां कोई और चित्र या देवी-देवता की स्थापना न करें.
ज्योतिर्लिंगों की पूजा-उपासना कैसे करें? ज्योतिर्लिंग के समक्ष एक बड़ा पात्र रख लें. सबसे पहले भगवान शिव का ध्यान करें और फिर उसी पात्र में बेलपत्र, फल, धूप आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव का नाम जपते हुए उसी पात्र में दोनों हाथों से जल डालें. भगवान शिव के किसी भी मंत्र का कम से कम तीन या अधिक से अधिक 11 माला का जाप करें. जप के पश्चात भगवान शिव का ध्यान करें. सबसे अंत में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का नाम लें और तब क्षमा प्रार्थना करें.
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