विद्रोह के कारण
1857 के विद्रोह के लिए जिन कारणों को महत्वपूर्ण माना जाता है, वे निम्नलिखित हैं-
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तात्कालिक कारण
- 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण सैनिक थे।
- कम्पनी ने भारतीयों के प्रति जो भेदभाव की नीति रखी थी, उसका सर्वाधिक स्पष्ट रूप सेना में था। कारण, उसी में भारतीयों के रोजगार मिलने की सर्वाधिक संभावना थी। परन्तु, भारतीय सैनिकों के साथ बड़ा ही बुरा बर्ताव होता था। इस कारण हम पहले भी देखते हैं कि 1765 में बंगाल में, 1806 में वेल्लूर में, 1824 में बैरकपुर में और अन्यत्र भी सेना में विद्रोह होते रहे।
- कितनी भी योग्यता या बहादुरी दिखाने पर भारतीयों को ‘जमादार’ से ऊँची पदोन्नति नहीं मिलती थी।
- भारतीय सैनिकों के वेतन, भत्ते आदि भी अंग्रेजों की तुलना में बहुत कम थे। साथ ही; खान-पान, रहन-सहन एवं व्यवहार में भी भारतीयों के साथ भेदभाव बरता जाता था।
- सेना में भी पादरी ईसाई-धर्म के प्रचार के लिए आते रहते थे।
- कम्पनी की नीति से जिस प्रकार भारतीय कृषि-अर्थव्यवस्था कुप्रभावित हो रही थी, उससे सैनिकों पर भी असर पड़ता था, क्योंकि, उस समय सैनिकों की आय उतनी नहीं थी कि उसकी आय से ही सारे परिवार के लोगों का पेट भर सके अर्थात् कृषि ही उसकी आवश्यकताओं को पूरा करती थी।
- सैनिक भी ‘वर्दीधारी किसान’ ही थे, जिस पर लगान का समान बोझ पड़ता था। इतना तक भारतीय सैनिकों ने बरदाश्त किया। पर, जब उनकी धार्मिक भावना को चोट की गई, तब उन्होंने व्यापक विद्रोह कर दिया।
- लार्ड केनिंग के समय 1856 में ‘द जेनरल सर्विस इनलिस्सटमेण्ट एक्ट’ के अनुसार यह घोषणा की गई कि भारतीय सैनिकों को युद्ध के लिए समुद्र पारकर विदेश भी जाना होगा। भारतीय समुद्र-यात्रा को पाप समझते थे। वे इसका विरोध कर ही रहे थे कि कम्पनी की सेना में एक नई ‘इनफिल्ड’ नामक राइफल आई, जिसमें गोली लगाने से पहले कारतूस को मुँह से खोलना पड़ता था और कारतूस में चर्बी चढ़ी होती थी। कतिपय उदाहरणों में गायों व सूअरों की चर्बी का प्रयोग किया गया था। सैनिकों को जैसे ही इस बात का पता चला, उनका क्षोभ सीमा पार कर गया।
- सबसे पहले बैरकपुर छावनी में मंगल पाण्डेय ने 29 मार्च, 1857 को ऐसी कारतूस के प्रयोग का विरोध किया। उसने काफी उत्पात मचाया-8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी गई। 6 मई को सैनिकों ने फिर विरोध किया।
- अब कम्पनी ने भारतीय सैनिक रूख देखते हुए उनके शस्त्र-अस्त्र जब्त करना आरंभ कर दिया, सैनिकों को सजा दी जाने लगी और उन्हें बड़ी संख्या में कैद किया जाने लगा। अंत में 10 मई, 1857 को सैनिकों ने व्यापक स्तर पर विरोध कर विद्रोह की घोषणा कर दी और क्रान्ति की शुरूआत हो गई।
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आर्थिक कारण
- नयी राजस्व व्यवस्था के तहत भारी करारोपण, बेदखली, भारतीय उत्पादों के विरूद्ध भेदभावपूर्ण प्रशुल्क नीति, परंपरागत हस्तशिल्प उद्योग का विनाश, आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था को प्रोत्साहन न देना, जिसने कृषक, जमींदार एवं शिल्पकारों को दरिद्र बना दिया।
राजनीतिक कारण
- लार्ड डलहौजी की साम्राज्यवादी नीतियां, ब्रिटिश शासन का विदेशीपन, दोषपूर्ण न्याय व्यवस्था एवं प्रशासकीय भ्रष्टाचार, मुगल सम्राट से निंदनीय व्यवहार।
- प्रशासनिक कारण-अंग्रेजों की शासन पद्धति से भारतीयों का असंतुष्ट होना, परंपरागत भारतीय शासन पद्धति की समाप्ति, उच्च पदों पर केवल अंग्रेजों की नियुक्ति तथा अंग्रेजी को सरकारी भाषा बनाना।
- सामाजिक और धार्मिक कारण-अंग्रेजों में प्रजातीय भेदभाव तथा श्रेष्ठता की भावना; ईसाई मिशनरियों को प्रोत्साहन, विभिन्न सामाजिक सुधार कार्यक्रम तथा नये नियमों का निर्माण।
- सैनिक कारण-सैनिकों के वेतन एवं भत्ते में आर्थिक असमानता एवं भेदभाव, उनका मनोवैज्ञानिक एवं धार्मिक उत्पीड़न।
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